सुप्रसिद्ध निबंधकार पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय – Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय - Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay

Hello Students आज हम Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay एवं उनकी रचनाओं को देखेंगे | (Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay in Hindi)

Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay
नाम पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
जन्म
27 मई, 1894 ई.
जन्म स्थान
जबलपुर के खैरागढ़ नामक स्थान
पिता का नाम
पुन्नालाल बख्शी
शिक्षा
बी. ए.
मृत्यु
27 दिसम्बर, 1971 ई.
प्रमुख रचनाएँ
बन्ध पारिजात, पंचपात्र, पद्मवन, मकरन्द बिन्दु, कुछ बिखरे पन्ने, मेरा देश आदि। कहानी- झलमला, अंजलि आदि।

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का जन्म 27 मई, 1894 ई. को जबलपुर के खैरागढ़ नामक स्थान में हुआ था। इनके पिता पुन्नालाल बख्शी तथा बाबा उमराव बख्शी साहित्य प्रेमी और कवि थे। इनकी माता को भी साहित्य से प्रेम था। परिवार के साहित्यिक वातावरण के प्रभाव के कारण ये विद्यार्थी जीवन से ही कविताएँ रचते थे। बी.ए. पास करते ही इन्होंने ‘सरस्वती’ में अपनी रचनाएँ प्रकाशित कराना प्रारम्भ किया। बाद में ‘सरस्वती’ के अतिरिक्त अन्य पत्र-पत्रिकाओं में भी इनकी रचनाएँ प्रकाशित होने लगीं। इनकी प्रथम कहानी ‘तारिणी’ जबलपुर से प्रकाशित होने वाली ‘हितकारिणी’ पत्रिका में सन् 1911 ई. में प्रकाशित हुई। बख्शी जी की प्रसिद्धि का मुख्य आधार आलोचना और निबन्ध लेखन है। साहित्य का यह महान् साधक 27 दिसम्बर, 1971 ई. को परलोकवासी हो गया।

बख्शी जी द्विवेदी युग के प्रमुख साहित्यकारों के रूप में जाने जाते है। बख्शी जी विशेष रूप से अपने ललित निबन्धों के लिए स्मरण किये जाते हैं। इन्होंने जीवन, समाज, धर्म, संस्कृति और साहित्य आदि विषयों में उच्चकोटि के निबन्ध लिखे हैं। बख्शी जी ने 1920 ई. से 1927 ई. तक बड़ी कुशलता से ‘सरस्वती’ का सम्पादन किया। कुछ वर्षों तक इन्होंने ‘छाया’ मासिक पत्रिका का भी सम्पादन बड़ी योग्यता से किया।

मुख्य रचनाएँ- निबन्ध- प्रबन्ध पारिजात, पंचपात्र, पद्मवन, मकरन्द बिन्दु, कुछ बिखरे पन्ने, मेरा देश आदि। कहानी- झलमला, अंजलि आदि।

आलोचना – विश्व साहित्य, हिंदी साहित्य विमर्श, समस्या और समाधान आदि।

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