माखनलाल चतुर्वेदी जीवन परिचय – Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay

माखनलाल चतुर्वेदी जीवन परिचय - Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay

Hello Students आज हम Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay एवं उनकी रचनाओं को देखेंगे | (Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay in Hindi)

Makhanlal Chaturvedi Ka Jivan Parichay
नाम माखनलाल चतुर्वेदी
जन्म
4 अप्रैल सन् 1889
जन्म स्थान
बावई (होशंगाबाद), म.प्र.
पिता का नाम
पं. नन्दलाल चतुर्वेदी।
शिक्षा
प्राथमिक शिक्षा के बाद घर पर ही अंग्रेजी,संस्कृत, बांग्ला, गुजराती भाषा का अध्ययन
मृत्यु
30 जनवरी, सन् 1968 ई.
प्रमुख रचनाएँ
हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा, चिन्तक की लाचारी, आत्म-दीक्षा, रामनवमी, नागार्जुन, वनवासी आदि।

माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म 4 अप्रैल, सन् 1889 ई. को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में ‘बावई’ नामक ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम पं. नन्दलाल चतुर्वेदी था। प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात इन्होंने घर पर ही संस्कृत, बांग्ला, गुजराती, अंग्रेजी आदि का अध्ययन किया। इन्होने कुछ दिन अध्यापन-कार्य भी किया। सन् 1913 ई. में सुप्रसिद्ध मासिक पत्रिका ‘प्रभा’ के सम्पादक नियुक्त हुए। चतुर्वेदी जी ने साप्ताहिक पत्र ‘कर्मवीर’ और ‘प्रताप’ का भी सम्पादन किया। श्री गणेशशंकर विद्यार्थी की प्रेरणा तथा साहचर्य के कारण वे राष्ट्रीय आन्दोलनों में भाग लेने लगे। इन्हें कई बार जेल-यात्रा करनी पड़ी। ये सन् 1943 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष हुए। भारत सरकार ने इन्हें ‘पद्मभूषण’ की उपाधि से अलंकृत किया। अपनी कविताओं द्वारा नवजागरण और क्रान्ति का शंख फूंकने वाले कलम के इस सिपाही का 30 उनवरी, सन् 1968 ई. को स्वर्गवास हो गया।

प्रमुख रचनाएँ- हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा, चिन्तक की लाचारी, आत्म-दीक्षा, रामनवमी, नागार्जुन, वनवासी आदि।

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