महादेवी वर्मा का जीवन परिचय – Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

महादेवी वर्मा का जीवन परिचय - Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay

Hello Students आज हम Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay एवं उनकी रचनाओं को देखेंगे | (Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay in Hindi)

Mahadevi Verma Ka Jivan Parichay
नाम महादेवी वर्मा
जन्म
24 मार्च, सन् 1907
जन्म स्थान
फर्रुखाबाद
पिता का नाम
श्री गोविन्द सहाय वर्मा
माता का नाम
श्रीमती हेमरानी
शिक्षा
एम. ए. (संस्कृत)
मृत्यु
11 सितम्बर, 1987 ई.
प्रमुख रचनाएँ
नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य-गीत, दीपशिखा, अतीत के चल चित्र, स्मृति की रेखाएं, यामा आदि |

हिन्दी साहित्य में आधुनिक मीरा के नाम से प्रसिद्ध कवयित्री एवं लेखिका महादेवी वर्मा का जन्म सन् 1907 में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद शहर में हुआ था। इनके पिता गोविन्दसहाय वर्मा भागलपुर के एक कॉलेज में प्रधानाचार्य थे। माता हेमरानी साधारण कवयित्री थीं एवं श्रीकृष्ण में अटूट श्रद्धा रखती थीं। इनके नाना जी को भी ब्रज भाषा में कविता करने की रुचि थी। नाना एवं माता के गुणों का महादेवी पर गहरा प्रभाव पड़ा। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई थी। नौ वर्ष की अल्पायु में ही इनका विवाह स्वरूपनारायण वर्मा से हुआ, किन्तु इन्हीं दिनों इनकी माता का स्वर्गवास हो गया, ऐसी विकट स्थिति में भी इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा। अत्यधिक परिश्रम के फलस्वरूप इन्होंने मैट्रिक से लेकर एम. ए. तक की परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में ही उत्तीर्ण कीं।
वर्ष 1933 में इन्होंने प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्या पद को सुशोभित किया। इन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किया, साथ ही नारी की स्वतन्त्रता के लिए ये सदैव संघर्ष करती रहीं। सन् 1982 में महादेवी वर्मा जी को उनके काव्य ग्रंथ ‘यामा’ पर ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त हुआ। इनका देहवासन 11 सितंबर सन् 1987 को हुआ।

रचनाएँ- नीहार, रश्मि, नीरजा, सांध्य-गीत, दीपशिखा, अतीत के चल चित्र, स्मृति की रेखाएं, यामा, पथ के साथी आदि।

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